कभी दलाल कभी मंत्री के चक्कर में थी दौड़ धूप मिरी नौकरी के चक्कर में लुटा के क़ब्र पे पॉकेट की जाएदाद अपनी बता दी मैं ने मुजाविर से भी मुराद अपनी कहा ये उस ने कि मत पैकर-ए-ग़ुलामी बन मिरी ये राय है तो मॉडर्न स्वामी बन ज़मीन चाहिए थोड़ी सी आश्रम के लिए झुकेंगे रोज़ मिनिस्टर तिरे क़दम के लिए