इल्म से बढ़ के कुछ भी जहाँ में नहीं फूल ऐसा कोई गुल्सिताँ में नहीं इल्म अल्लाह ने फ़र्ज़ हम पर किया इल्म से हम पे राज़-ए-हक़ीक़त खुला इल्म से ही मिली हम को राह-ए-वफ़ा इल्म है इब्तिदा इल्म है इंतिहा इल्म से बढ़ के कुछ भी जहाँ में नहीं फूल ऐसा कोई गुलिस्ताँ में नहीं इल्म से हम को राह-ए-हक़ीक़त मिली इल्म पर है अमल की इमारत खड़ी इल्म फ़िक्र-ओ-नज़र इल्म है आगही इल्म एहसास है इल्म ही ज़िंदगी इल्म से बढ़ के कुछ भी जहाँ में नहीं फूल ऐसा कोई गुल्सिताँ में नहीं