वो जितने रंग मलाल के हैं हम क्या जानें किस हाल के हैं हम राही दश्त-ए-ख़याल के हैं और साइल एक विसाल के हैं हम हिज्र की मार से डरते हैं और इश्क़ की बातें करते हैं हम अक़्ल के ताने-बाने हैं मत समझो हम मस्ताने हैं इन राहों से बेगाने हैं बस नाम के ही दीवाने हैं हम नाम-ओ-नुमूद पे मरते हैं और इश्क़ की बातें करते हैं हम होश के शहर में रहते हैं और मौज-ए-तरब में बहते हैं कब कौन सा सदमा सहते हैं बस ख़्वाब का क़िस्सा कहते हैं हम झूटी आहें भरते हैं और इश्क़ की बातें करते हैं