इत्तिफ़ाक़ By Nazm << नए साल की आमद पर ईद-ए-रमज़ान >> एक दिन रूठी ख़ुशी अनजानी डगर पर ऐसे मिली जैसे घुप अंधेरे में भटके मुसाफ़िर को राह मिल गई हो चाँदनी सी खिल गई हो Share on: