जब गुज़र जाए एक ख़्वाब और रह जाए एक तलछट पेट भरता है जब दरख़्तों पर रोटी नहीं उगती धूल और धूप ख़ाली करते हैं जिस्म रह जाती है एक साँस जो मिलाती है पाँव ज़मीन से जब गुज़र जाए एक दिन और रह जाए एक रात बे-मज़ा और कसीली बाक़ी कुछ नहीं रहता सिर्फ़ ज़मीन और पाँव मेज़ पर रखे हाथ