ये चुन्नू ख़ाँ का क़िस्सा है जो मुन्नू ख़ाँ के थे हम-दम थी उम्र उन की बहुत काफ़ी मगर थी अक़्ल उन में कम वो कहते खाने को हप्पा वो कहते पानी को मम मम वो पगड़ी बाँधते ऐसी चमकती ख़ूब वो झम झम बजाते हर घड़ी बाजा कभी पूँ पूँ कभी पम पम मियाँ चुन्नू कहीं जाते तो कहते लाओ इक टम टम घटा घिर कर अगर आती बरसता मेंह अगर छम छम गली में वो निकल जाते वो गिरते ख़ूब ही धम धम वो कीचड़ में लुथड़ जाते तमाशा देखते ये हम कभी बक-बक किया करते कभी वो बोलते कम-कम वो कहते मैं को में में में वो कहते हम को हम हम हम