जंग-ज़ादे By Nazm << महरान, मुझे दो तिश्नगी >> हम ख़ुदाओं के नाज़ुक बदन के लिए बाइ'स-ए-दर्द हैं इश्क़ जैसा जहन्नुम भी हम से मिला बुझ गया बर्फ़ हैं सर्द हैं Share on: