महरान, मुझे दो By Nazm << उन की तस्वीर देख कर जंग-ज़ादे >> महरान, मुझे दो आवाज़ का इक पँख महरान, मुझे दो टूटे हुए रिश्ते पुरखों के नविश्ते महरान, मुझे दो ज़रख़ेज़ किनारा ये हाथ तुम्हारा गर्म और सुनहरा महरान, मुझे दो उम्मीद और पानी Share on: