इक तारीख़ जब इस दुनिया की फ़ज़ा में मैं ने पहली साँस भरी थी और आज ही मुझ को मौसूल हुए हैं कितनी दुआओं के चेक अब सारा बरस आराम रहेगा और ख़ास-उल-ख़ास इक काम रहेगा क़िस्मत के बैंक में जा कर सारे चेक कैश करा कर रफ़्ता रफ़्ता ख़र्च करूँगा जब ये दौलत कम हो जाए तब मैं तन्हा बैठ के ये दुआएँ करूँगा कि अगले बरस का इंतिज़ार ख़त्म हो जल्दी