ज़र्फ़ By Nazm << उबाल तीसरी नज़्म >> जन्नत की ख़ुनुक हवा मिली तो ठंडक हमें नागवार गुज़री मुँह फेर के नाक भौं चढ़ा के इक दूजे को देखा और हम ने चाहा कि ज़रा सी नार-ए-दोज़ख़ मिल जाए तो हाथ ताप लें हम Share on: