झील किनारे रहने वाली मोती जैसे चेहरे वाली तुम को मेरी ख़बर नहीं है एक हमारा शहर नहीं है गुंजाइश भी नहीं है कोई कभी मिलेंगे हम दो राही या'नी दूर के ढोल हुनूज़ इक दूजे से हैं महफ़ूज़ इश्क़ कि ख़ातिर बिल्कुल ठीक कभी न आएँगे नज़दीक उसे सुहूलत जान के मैं ने दिल वाली हो मान के मैं ने अपनी तरफ़ से बिना इजाज़त शुरूअ' भी कर दी तुम से मोहब्बत आओ देखो झील किनारा खड़ा हूँ मैं उम्मीद का मारा