ठहरो बारिश रुक जाए तो मैं ही तुम को छोड़ आऊँगा तब तक कोई शेर सुना दो या फिर तार हँसी का छेड़ो देखो मुझ को जाने दो जंगल सारा भीग गया है और बादल भी ग़ुस्से में है पागल हो तुम कैसी बातें करती हो मेरे होते बादल बरसे या फिर धूप अंधेरा छाए कौन तुम्हें कुछ कह सकता है