जुगनू इधर आओ ऐ मेरे नादान बच्चे करूँगा मैं दो चार बातें तुम्हीं से हो मसरूफ़ क्यूँ खेलने में तुम ऐसे सुनो तो सही कुछ पढ़ो घर पे जा के नहीं प्यारे बच्चे ये दिन खेलने के बच्चा मैं अब्बा का जानी मैं अमाँ का प्यारा नहीं रंज मेरा किसी को गवारा न जाऊँगा पढ़ने ये है क्या इशारा मैं खेलूँगा तेरा नहीं कुछ इजारा चमकदार कीड़े मुझे खेलने दे जुगनू ये पुर-नूर चेहरा ये आँखें मुनव्वर ये गोरा बदन और कपड़े मोअ'त्तर लड़कपन के दिन हैं मगर यूँ न हट कर नसीहत से मेरी हुआ क्यूँ मुकद्दर नहीं प्यारे बच्चे ये दिन खेलने के बच्चा पड़ी है अभी उम्र पढ़ लूँगा जुगनू कि पढ़ने पे हर वक़्त है मेरा क़ाबू मैं क्यूँ जाऊँ पढ़ने मैं खेलूँगा हर सू कहीं और बे-पर की जा कर उड़ा तू चमकदार कीड़े मुझे खेलने दे जुगनू नहीं प्यारे बच्चे नहीं खेल अच्छा कि पढ़ने का है इक यही तो ज़माना अगर इब्तिदा से रहा शौक़ इस का तो आ जाएगा फिर बहुत जल्द पढ़ना नहीं प्यारे बच्चे ये दिन खेलने के बच्चा पकड़ लूँगा तुझ को जो अब तू ने छेड़ा तू आया बड़ा इल्म वाला कहीं का मैं खेलूँगा खेलूँगा खेलूँगा हर जा मुझे खेल से रोकता है परिंदा चमकदार कीड़े मुझे खेलने दे जुगनू न जाऊँगा हरगिज़ मैं उड़ कर यहाँ से करोगे न इक़रार जब तक ज़बाँ से नसीहत को आएगा कोई कहाँ से फ़रिश्ते न उतरेंगे अब आसमाँ से नहीं प्यारे बच्चे ये दिन खेलने के बच्चा यहाँ आ के किन आफ़तों में फँसा मैं तिरे लेक्चर में हुआ मुब्तला मैं कहीं और ही खाऊँगा अब हवा मैं तू जाता नहीं तो न जा ले चला मैं चमकदार कीड़े मुझे खेलने दे जुगनू मैं तेरे लिए गो इक आफ़त नई हूँ मगर वाक़ई रहमत अल्लाह की हूँ जहाँ में तिरा रहनुमा हर घड़ी हूँ मैं जुगनू नहीं इल्म की रौशनी हूँ नहीं प्यारे बच्चे ये दिन खेलने के तुझे एक दिन है चमकना ज़मीं पर हँसी मुझ को आती है तेरी नहीं पर नज़र है मिरी तेरे रू-ए-हसीं पर मैं चमकूँगा इक रोज़ तेरी जबीं पर नहीं प्यारे बच्चे ये दिन खेलने के अभी से अगर तू लिखेगा पढ़ेगा तो दुनिया में परवान जल्दी चढ़ेगा ये कब तक यूँही गेड़ियाँ तू गढ़ेगा बढ़ाएगा हिम्मत तो आगे बढ़ेगा नहीं प्यारे बच्चे ये दिन खेलने के बच्चा जो तू इल्म की रौशनी है तो आ जा मिरे दिल में मेरे जिगर में समा जा मुझे पढ़ने लिखने का शैदा बना जा अगर और कुछ है तो हट जा चला जा चमकदार कीड़े मुझे खेलने दे