रात को टूटा एक सितारा ऊपर से लुढका बेचारा करता था दुनिया का नज़ारा चिकना था छज्जे का किनारा फिसला वो शामत का मारा छूट गया जंगले का सहारा रात को टूटा एक सितारा ऊपर से लुढका बेचारा कोई ये समझे ग़ोता मारा आधी रात बजे थे बारह सोता है जब आलम सारा रात को टूटा एक सितारा ऊपर से लुढका बेचारा चाँद ने आख़िर दे के सहारा सहन में अपने उस को उतारा पहले चुमकारा पुचकारा काँप रहा था थर थर सारा घर पहुँचाया उस को दोबारा देखो तारे अब मत गिरना अच्छा नहीं छज्जों पर फिरना अब के गया गर जंगला छूट तो तुम जाओगे बिल्कुल टूट