आने वाला कल जंगों का ज़माना होगा भूक उगेगी खलियानों में पानी बिकेगा दीनारों में धरती का सीना छलनी छलनी होगा आने वाला कल कितना संगीन होगा कोख धरती की वीराँ होगी सदियों न कोई पैदा दाना होगा हीरोशीमा को लोग भूल जाएँगे नफ़रतों से भला क्या पाएँगे हर अपना बेगाना होगा आने वाला कल जंगों का ज़माना होगा जिस्म बिकेंगे रोटी के बदले ईमान बिकेगा मुफ़्त के भाव खाने को जब कुछ न होगा आने वाला कल ऐसा होगा आने वाला कल गर ऐसा होगा दुनिया का नक़्शा फिर कैसा होगा काश ऐसा हो जाए वक़्त यहीं ठहर जाए आने वाला कल कभी न आए