काली रात है By Nazm << शेल शॉक्ड एक मा'मूली सा मंज़र >> काली रात पे रंग नहीं चढ़ता है कोई झिलमिल झिलमिल करते तारे सुर्ख़ अगर हो जाएँ भी तो किस की नज़र में आएँगे ये चाँद ही होता सुर्ख़ रंग इस पर फबता भी काली रात है काली रात पे रंग नहीं चढ़ने वाला है मैं ने अपनी नब्ज़ काट कर अपना लहू बर्बाद कर दिया Share on: