आमाजगह-ए-नूर है कोहसार-ए-हिमाला है ग़ैरत-ए-सद-तूर ये भारत का शिवाला कोहसार नहीं ताज-ए-वतन अम्न का हाला सहबा-ए-मोहब्बत का छलकता हुआ प्याला कश्मीर हिमाला का धड़कता हुआ दिल है इस वादी का हर फूल महकता हुआ दिल है इस वादी की तारीख़ उख़ुव्वत का फ़साना इस वादी का हर नग़्मा मोहब्बत का तराना इस वादी का हर ज़र्रा मआ'नी का ख़ज़ाना इस वादी की तहज़ीब ने देखा है ज़माना ये वादी-ए-गुल आज भी गुलज़ार-ए-इरम है इस वादी का हर फूल बहारों का सनम है