कठ-पुतली ने नाटक खेला नन्ही मुन्नी गुड़िया रानी सर पे चंदरिया धानी धानी बोलो रानी बोलो रानी बालों में तारों को गूँधे दूर खड़ी जाने क्या सोचे पैर में घुंघरू छम-छम छम कान के बाले चम-चम चम पहने है वो लाल शलोका दूर से चमके आग का लूका ग़ुस्सा चेहरे पर जब आए हो जाए वो लाल भबूका लाल भबूका कठ-पुतली ने नाटक खेला हाथों में मेहंदी की लाली गोरी गोरी काली काली बातें उस की तीखी तीखी रूखी रूखी फीकी फीकी कठ-पुतली ने नाटक खेला हँसते हँसते सब दुख झेला चूँ चूँ चूँ चुन चुन चुन झों झों झों झन झन झन घन घन घन सन सन सन टन टन टन घंटा बोला घिर आई फिर शाम की बेला कठ-पुतली ने नाटक खेला