साया मेरा मुझ को देख के भागे है फिर भी मेरे साथ रहे है कौन है तू अभी क़ुर्बत ही ज़ीस्त का बाइ'स है फिर भी तुझ से डर ही लगे है कौन है तू तुझ को देख के प्यार से दिल भर आए कभी दूजे लम्हे दिल लरज़े है कौन है तू तेरे मन की बातें मन की बातें हैं फिर भी मन की बात न समझे कौन है तू राज़ की सारी बातें तुझ से कर लूँ मैं फिर भी जी का हाल छुपाऊँ कौन है तू शर्म से सर झुक जाए जब भी आए तू फिर भी दिल के पास रहे है कौन है तू तेरी साँसों का मौसम ही मौसम है ग़ैरों का मौसम ही लगे है कौन है तू तुझ को देख के लब ख़ुश्क हो जाएँ कभी बातें करने को दिल तरसे है कौन है तू झुक के जब भी देखूँ अपनी लगती है फिर भी मुझ से दूर रहे है कौन है तू