कौन है वो जो हर पल मेरे साथ साथ चलता है कभी वो फूल बन कर मेरे होंटों पर खिलता है कभी शबनम बन कर मेरी रूह को भिगो देता कौन है वो जो हर पल मेरे साथ साथ चलता है वो कभी लफ़्ज़ बन कर मेरी ग़ज़लों में सँवर जाता है जब वो हँसता है हर सम्त जुगनू चमकने लगते हैं जब वो चलता है तो राहों में हज़ारों चराग़ जल उठते हैं कौन है वो जो हर पल मेरे साथ साथ चलता है कभी वो मेरा साया बन जाता है कभी मेरा आसमान बन जाता है कभी मुझे ख़ुद में समो लेता है कभी मेरी ज़मीन बन जाता है उस की एक निगाह से मैं पाश पाश होने लगती हूँ जब मिलने का इसरार करता है मैं बेबस हो जाती हूँ कौन है वो जो हर पल मेरे साथ चलता है