कौन? By Nazm << वो अर्सा जो दूरी में गुज़... रेवड़ >> कभी दिल के अंधे कुएँ में पड़ा चीख़ता है कभी दौड़ते ख़ून में तैरता डूबता है कभी हड्डियों की सुरंगों में बत्ती जला कर यूँही घूमता है कभी कान में आ के चुपके से कहता है तू अब तलक जी रहा है? बड़ा बे-हया है! मिरे जिस्म में कौन है ये जो मुझ से ख़फ़ा है Share on: