क़ुर्बत और दूरी By Nazm << समुंदर की प्यास पानी >> जज़्बा-ए-मज़हब सियासत का ख़रोश इल्म की जेहद-ए-मुसलसल फ़न का जोश आदमी की सम्त है सब का झुकाओ सब को है इंसाँ से बुनियादी लगाओ बात ये उन सब के है मद्द-ए-नज़र आदमी से हों सदा नज़दीक-तर सब को क़ुर्ब इंसान का मंज़ूर है आदमी ही आदमी से दूर है Share on: