ख़ामोश शिकवे By Nazm << मुस्कुराता है कँवल आज फिर >> दोनों ख़ामोश थे किसी ने किसी से कुछ नहीं कहा चेहरे लहरों से बेगाना पुर-सुकून थे नज़रें आँखों की झील में ग़ोता-ज़न थीं मगर दिल के दरिया में तूफ़ानों का शोर था Share on: