हवा की सरसराहट उन के आने की ख़बर देती मिरा दिल मोर बन कर नाचता है हवा भी बाँध कर पैरों में घुंघरू बड़ी चंचल हुई जाती है देखो मिरे हमराह वो भी नाचती है अचानक क्या हुआ ऐसा हवा के पाँव साकित हो गए हैं न घुंघरू हैं न आवाज़ें भी उस की न बल खाना न लहराना वो उस का ख़मोशी की पड़ी चादर सभी पर हरे पेड़ों ने भी सर ढाँप डाला परिंदों ने परों में सर छुपाया अकेली मैं खुली आँखें हैं मेरी किसी के इंतिज़ार में रास्ते की दूरियाँ नापती हैं