उजाला तेरी यादों का By Nazm << मुस्कुराता है कँवल ख़मोशी >> उजाला तेरी यादों का मिरे अतराफ़ है फैला इसी की रौशनी से मैं हमारी ज़िंदगी का मोहब्बत का वफ़ाओं का फ़साना लिखती रहती हूँ कभी फ़ुर्सत जो मिल जाए तो आ के इस को पढ़ लेना मिरी बस इतनी ख़्वाहिश है यूँही क़ाएम रहे हर दम उजाला तेरी यादों का Share on: