ख़ामुशी की आदत डाल लो सुकून मिल जाएगा बे-आवाज़ ख़ामुशी एक बार अल्फ़ाज़ को तोड़ दो मा'नों के कर्ब से नजात मिल जाएगी सारी जंगें आप ही आप रुक जाएँगी मेरा अलमिया ये है मैं ने अल्फ़ाज़ को आख़िरी सच्चाई जाना था मेरी आँखों से अब बूँदें हर्फ़ हर्फ़ टपकती हैं