क्या ख़ुदा तुझ को भूल जाऊँ मैं किस लिए तेरे गुन गाऊँ मैं मुझ को इंसाँ बना दिया तू ने सीधा रस्ता बता दिया तू ने फिर समझ दी कि नेक काम करूँ कितना ऊँचा उठा दिया तू ने क्या ये एहसान भूल जाऊँ मैं किस लिए तेरे गुन न गाऊँ मैं चाँद सूरज जो जगमगाते हैं गर्मी और रौशनी बहाते हैं ज़िंदगी का यही सहारा हैं खेतियाँ भी यही पकाते हैं ये न चमकें तो कुछ न खाऊँ मैं किस लिए तेरे गुन न गाऊँ मैं ये घटाएँ ये ठंडी ठंडी हवा ये समुंदर पहाड़ ये दरिया ये घने और ये लहलहाते खेत तू ने मेरे लिए किए पैदा देन को तेरी क्या गिनाऊँ मैं किस लिए तेरे गुन न गाऊँ मैं गाय या भैंस बैल या बकरी ऊँट घोड़े पहाड़ से हाथी दूध घी दें मुझे सवारी दें जोतें बोएँ यही मेरी खेती क्या दिया तू ने क्या बताऊँ मैं किस लिए तेरा गुन न गाऊँ मैं तू ने माता पिता का प्यार दिया फिर मुझे इल्म से सँवार दिया बढ़ के इन सब से तंदुरुस्ती दी जो दिया तू ने बे-शुमार दिया चाहिए सर तुझे झुकाऊँ मैं किस लिए तेरे गुन न गाऊँ मैं