ख़ुद्दारी By Nazm << साँप सीढ़ी सफ़र से लौटते लम्हों में >> किसी चराग़ से हंस कर कहा ये आँधी ने कि मेरे सामने औक़ात क्या तुम्हारी है बड़े ही फ़ख़्र से बोला चराग़ ऐ आँधी जो बुझ गया तो शहीदों में नाम होगा मिरा जला रहा तो अंधेरा ग़ुलाम होगा मिरा Share on: