क्या ज़रूरी है कि हम फ़ोन पे बातें भी करें क्या ज़रूरी है कि हर लफ़्ज़ महकने भी लगे क्या ज़रूरी है कि हर ज़ख़्म से ख़ुशबू आए क्या ज़रूरी है वफ़ादार रहें हम दोनों क्या ज़रूरी है दवा सारी असर कर जाए क्या ज़रूरी है कि हर ख़्वाब हम अच्छा देखें क्या ज़रूरी है कि जो चाहें वही हो जाए क्या ज़रूरी है कि मौसम हो हमारा साथी क्या ज़रूरी है सफ़र में कहीं साया भी मिले क्या ज़रूरी है तबस्सुम यूँही मौजूद रहे क्या ज़रूरी है हर इक राह में जुगनू चमकीं क्या ज़रूरी है कि अश्कों को रवानी भी मिले क्या ज़रूरी है कि मिलना ही मुक़द्दर ठहरे क्या ज़रूरी है कि हर रोज़ मिलें हम दोनों हम जहाँ गाँव बसाएँ वहाँ इक झील भी हो क्या ज़रूरी है मोहब्बत तिरी तकमील भी हो