डम डम डम डम डमरू बाजे बच्चे पास गली में भागे खेल दिखाए भालू वाला रंग जमाए भालू वाला छम-छम भालू घूम रहा है बच्चा बच्चा झूम रहा है कर्तब ख़ूब दिखाए भालू सब का दिल बहलाए भालू उजला उजला सूट पहन कर काले काले बूट पहन कर कुर्सी पर आराम करे है उर्दू का अख़बार पढ़े है ग़ौर से फ़िल्मी गाना सुनता गीत ग़ज़ल दीवाना सुनता जब भालू से कहे मदारी घर वाली है कहाँ तुम्हारी भालू कुर्सी से उठ जाए अपना कुछ सामान उठाए अब भालू ससुराल चला है सज-धज कर भोपाल चला है बीवी मैके रूठ गई है उस की क़िस्मत फूट गई है जा कर उसे मनाए भालू समझा कर घर लाए भालू कुछ पल फिर आराम से गुज़रे हँसते गाते खाते पीते बेगम थी पर ख़ूब लड़ाकू ग़ुस्से में होती बे-क़ाबू बातों बातों में खटपट हो शौहर बीवी की झंझट हो बीवी चीख़े और चिल्लाए भालू उस पर रो'ब जमाए हँस हँस के बेहाल हुए सब बीवी उस की भाग गई जब भालू गुम-सुम बैठ गया है खेल-तमाशा ख़त्म हुआ है