ख़ुद-फ़रेबी By Nazm << लम्हों का ज़ख़्म कभी कभी >> बरसों बाद अचानक फिर से मेरे दिल के दरवाज़े पर दस्तक देने कौन आया है लम्स नहीं है उन हाथों का खट खट की वो सदा नहीं है ख़ुशबू भी अनजानी सी है या फिर मेरे वहम का साया अहद-ए-गुज़िश्ता की यादों को ले कर अपने साथ आया है मुझ से मिलने तन्हाई में Share on: