हवा मिट्टी के सोंधी बू से बोझल मिरे चेहरे को छूती पहली बारिश वसीअ' मैदान में सब्ज़े का सागर सड़क का रूप बरखा में उजलता मकाँ सब शहर के मिल कर नहाते फ़लक बादल ज़मीं बीता ज़माना मकाँ गलियाँ शहर यादों की ख़ुशबू खुली आँखों से सपना देखता हूँ ख़ला में दूर मिरी दस्तरस से फ़लक की वुसअ'तों में चाँद सूरज दरख़्शाँ कहकशाँ रौशन सितारे