ख़ुश-दामन By Nazm << अँगूठी ये भी अपनी ख़्वाहिश है >> ख़ुश-दामन के दामन से गर वाबस्ता हो ख़ुशियाँ क्यों उठाएँ नोकीले लफ़्ज़ों की ज़िल्लत मजबूर समाअ'तें गुंग ज़बानें आग में जल कर कभी न मरें पराई बेटियाँ Share on: