जो चाहते हो कि तुम बा-वक़ार बन के रहो तो ज़िंदगी में किफ़ायत शिआ'र बन के रहो दिया है रब ने तो बे-शक तुम उस को ख़र्च करो मगर ब-क़द्र-ए-ज़रूरत हो बे-हिसाब न हो हर एक शय को बरतने का इक तरीक़ा है इस तरह से किफ़ायत भी इक सलीक़ा है वो चाहे तेल हो बिजली हो या कि पानी हो न कोई चीज़ हो ज़ाएअ' समझ के सर्फ़ करो जो शाह ख़र्च थे दुनिया में वो ज़लील हुए जो जानते थे किफ़ायत वो ख़ुद-कफ़ील हुए बुरा न मानना बच्चो मिरी नसीहत का तुम्हीं को बोझ उठाना है मुल्क-ओ-मिल्लत का