ला-परवाही By Nazm << हवा का नौहा किफ़ायत शिआरी >> पलकों पर सपनों की किरची बची रह गई बस इतनी सी ला-परवाही क्या होनी थी इंद्रासन तक डोल उठा फरमानों के ढेर लग गए फाँसी सूली जनम-क़ैद के चर्चे घर घर होने लगे तख़्त से तख़्ते तक का नक़्शा फिर से देखा जाने लगा Share on: