कोई झोंका By Nazm << लकीरें काग़ज़ की नय्या >> अभी तक मुंतज़िर हूँ मैं कोई झोंका हवा का इस तरह आए कि अपने साथ ले जाए उड़ा कर आसमाँ की बे-करानी में जहाँ दिल में कोई ख़्वाहिश उठाए सर न कोई वसवसा जागे Share on: