बादशाह मर चुका है वारेसीन आएँ अब ब-सद-ख़ुलूस जंग हो ये ताज-ओ-तख़्त सल्तनत लगान फैली खेतियों का कौन लेगा ख़िलअतें वज़ारतें अता करेगा बे-ज़बाँ अवाम किस के नाम पे दुआ करेंगे खतियाँ ख़िराज किस के नाम पे उगल सकेंगी मिनमिनाते भीड़ के जुलूस किस के नाम पे ब-सद-ख़ुलूस फ़ख़्र से चलेंगे क़त्ल-गाह को