सई-ए-ला-हासिल सही खिलने दे ख़्वाबों के कँवल दाएरों में घूमने वालों ने देखे हैं सराबों के कँवल ऊँघते सूरज के पीले अक्स ने आँखों में भर दीं किर्चियाँ सोज़-ए-महरूमी है शह रग में निहाँ दिन के चेहरे से अयाँ पीले पीले दाएरों की मौज में खिलने दे ख़्वाबों के कँवल तिश्ना-सराबों के कँवल सई-ए-ला-हासिल सही इक सई-ए-ला-हासिल सही