मैं अपने ख़ूँ को जवाब देता हूँ निचला धड़ मेरे साथ रहने दो मेरे हिस्सा है मेरा मैं है कि अपने हैवाँ की पहली मंज़िल से चलने वाला कि अपने इंसाँ की सीढ़ियों तक पहुँचने वाला मिरा ही जौहर था शहद का क़तरा क़तरा हैवाँ था अपने इंसाँ की सीढ़ियों से भी और ऊँचा वो मंसब-ए-नस्ल जो फ़रिश्तों से बाला-तर है जो मेरी आमद का मुंतज़िर है मिरे ही जौहर के तीसरे आख़िरी क़दम का अमीन होगा मुझे ख़बर है कि आने वालों को दश्त-ए-इम्काँ में इक नए नक़्श-ए-पा के अबदी वजूद का भी यक़ीन होगा