सब्र-आज़मा By Nazm << लहु बोलता है 5 ख़ला में लुढ़कती ज़मीन >> हम कहाँ के अय्यूब थे? जो रिज़्क़ की तलाश में निकले हशरात को हमारे बदन का पता दे दिया गया हमें अपने आप का बोझ गवारा नहीं किसी की गुज़र-औक़ात का इंहिसार हम पे क्यूँ हो? Share on: