लम्हा-ए-दिल-कश By Nazm << अल्फ़ाज़ का अलमिया वक़्त >> साथ ख़ुशबू के रौशनी सिमटी चौदहवीं शब की चाँदनी सिमटी अक्स मेरा है तेरी नज़रों में एक नुक़्ते पे ज़िंदगी सिमटी तू ने बाँहों में भर लिया ऐसे बीच शाख़ों के इक कली सिमटी इक करामत से दिल की धड़कन में इक 'सबा'-ख़ेज़ दिलकशी सिमटी Share on: