बस एक इज़हार हज़ारों रातें जगा सकता है बे-शुमार शामें मोहब्बत की सिर्फ़ एक लम्हे को दान की जाती हैं और कभी कभी हर जीत अना के कर्ब से बोझल हो कर पशेमान रहती है उम्र-ए-रवाँ का हासिल इस एक जुमूद को धुतकारने की ख़्वाहिश का नाम है जो जुदाई के ख़ौफ़ से धड़कनों को मयस्सर रहता है देखा गया है अपनी ज़ात के पुजारी भी वक़्त आने पर मोहब्बत की भेंट चढ़ते हैं जंगल में बनी एक कुटिया उस की एक उम्दा मिसाल है सारी उम्र इस एक तवक़्क़ुफ़ की तशरीह में गुज़र सकती है जो किसी ने किसी से कुछ कहते हुए एक लम्हे को किया था बस एक इज़हार हज़ारों रातें जगा सकता है और कभी कभी एक ही मौसम सदियों ठहर सकता है