मैं By Nazm << ख़्वाहिश का जुर्म चिड़िया और कोयल >> कैनवस पर मुझ को चिपकाने के बा'द मेरा ख़ाका जब अधूरा सा लगा इक नई रेखा मेरे बाएँ तरफ़ खींची गई मैं मुकम्मल हो गया और फिर कैनवस पर छा गया Share on: