मैं ने जिन लम्हों के बदन से By Nazm << मैं ने मुस्तक़बिल की ख़ात... हथेली पर मिरी >> मैं ने जिन लम्हों के बदन से कैफ़-ओ-नशात के मीठे रस का क़र्ज़ लिया था अब वो लम्हे मेरे बदन से ख़ून के क़तरे माँग रहे हैं Share on: