ढाई-मन आटे की बोरी जब उस ने अपने काँधों से ताँगे में लड़काई और अपनी पेशानी पर से ख़ून पसीना बन कर बहता पानी पोंछा उस के पास खड़ी बेगम ने अपने चमकीले बटवे को लहरा कर उस से पूछा क्यूँ बे लड़के कितने पैसे लोगे तुम वो घिघयाया बीबी-जी! जो मर्ज़ी दे दें ये सुन कर मेरी नस नस में ग़ुस्से और नफ़रत की इक बिजली सी चमकी ओ रे कमीने बुज़दिल और मिस्कीन तू अपनी जाएज़ उजरत भी हिम्मत से गर्दन अकड़ा कर माँग नहीं सकता