माँ By Nazm << नया अमृत लज़्ज़त-ए-तन्हाई >> इक मोहब्बत का साया मिरे सर पे है जो मुझे तेज़ शो'लों से बर्क़-ए-तपाँ से और दुनिया की हर आफ़त-ए-ना-गहाँ से अपना सब कुछ लुटा कर बचाता रहा मेरे हर हर क़दम की ख़ुशी के लिए इल्तिजाओं दुआओं की झोली लिए महव-ए-तक़्दीस-ए-रब दिल की मेहराब में Share on: