मेरी आँखें मेरी जान तेरा इबादत-ख़ाना और अपने लिए इक नार-ए-जहीम मेरा दिल हिरनों के लिए मैदान-ए-अज़ीम और अपने लिए इक ख़ाना-ए-बीम देख ज़रा हल्लाज का रक़्स जिस ने अपनी मिट्टी अपना ख़ून न समझा अपना ख़ून जिस के लिए लाया है कोई एक विसाल-ए-दवाम एक चराग़-ए-मुबीन