मशवरा By Nazm << क्या चीज़ लोगे क्या तुम्हें कुछ ख़बर भी ... >> बहुत पुरानी हमारे रिश्तों की सब क़बाएँ जगह जगह से इसी लिए सब मसक रही हैं उतारें इन को पुराने कपड़ों के गंदे घर में बंद कर दें कभी कोई सब फटे-पुराने हमारे कपड़े ख़रीद लेगा और इन के बदले चमकता सा कुछ थमाए शायद Share on: