मौत By Nazm << संगसारी लम्हों का ज़ख़्म >> मौत मंज़िल है हम मुसाफ़िर हैं ज़िंदगी इक हसीं रास्ता है क़ाफ़िले हैं रवाँ-दवाँ जिस पर उम्र गोया है एक नक़्श-ए-क़दम हम जिसे छोड़ कर सदा पीछे वक़्त के साथ आगे बढ़ते हैं और इसी तरह एक दिन आख़िर अपनी मंज़िल पे जा पहुँचते हैं Share on: