वाइज़ अपने चेहरे पे नबातात उगा लूँ तो चलूँ इत्र कुछ मल लूँ ज़रा ख़ुद को सजा लूँ तो चलूँ मुर्ग़ बिरयानी दही क़ोरमा खा लूँ तो चलूँ और फूला हुआ ये पेट छुपा लूँ तो चलूँ वज़ीर इक शबिस्तान-ए-तमन्ना है जहाँ कुछ भी नहीं बर न आई हुइ उम्मीदों से हूँ ग़म-आगीं उफ़ ये फैली हुई शादाब-ओ-ख़ुश-आइंद ज़मीं इस पे दो-चार महल और बना लूँ तो चलूँ शौहर वो कहाँ मर गई आई थी अभी और चल दी घर में सब ख़त्म है बाज़ार से लाऊँ हल्दी किसी ख़ैराती शिफ़ा-ख़ाने में जा कर जल्दी अपने नन्हे को मैं इंडोर करा लूँ तो चलूँ क्लर्क रात भर जाग के रफ ड्राफ़्ट बना लूँ जा कर अपने रूठे हुए साहब को मना लूँ जा कर और रुख़्सत वहीं मंज़ूर करा लूँ जा कर फिर डबल रोटी के दो टोस्ट भी खा लूँ तो चलूँ मिस्टर ड्राई क्लीनर से वो पतलून जो आई लाना जो डबल रेट पे आई है धुलाई लाना पिन लगा के वो जो टाई है पराई लाना मैं ज़रा अपनी अटैची को सँभालूँ तो चलूँ